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शनिवार, 1 सितंबर 2018

इस बारिश में

स्वप्न हुए सिन्दूरी अपने
इस मतवाली बारिश में
टिपटिप बरसा है पानी
छत पे रात भर बारिश में

बच्चों ने फिर नाव बनाई
पोखर तलैया में चलाई
पकौड़े और जलेबी खाई
इस मदमाती बारिश में

भीगी है धरती की चूनर
इस रुपहली बारिश में
मौसम फिर गुलज़ार हुआ
रिमझिम सी इस बारिश में
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना मीना दी

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  2. बारिश का आगमन ख़ुशियाँ ले के आता है ... हर किसी को उसकी चाह आयु और भाव अनुसार बहा ले जाता है ...
    सुंदर रचना ...

    जवाब देंहटाएं