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सोमवार, 10 सितंबर 2018

मन पंछी सा डोले

सखी री मोरा मनवा यूँ मुझसे बोले
भाग जगें मेरे जब उनके दर्श होलें

उन बिन मुझको चैन पड़े ना
डोलूँ इत उत ध्यान बँटे ना
छत पे कौआ भी बोले

आँखों से मेरे नीँद उड़ी है
प्यास जाने कैसी जगी है
दिल में उमंगें डोले

जाने कब आयेंगे साजन
बाट निहारूँ बनके पुजारन
मन पंछी सा डोले
@मीना गुलियानी 

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