सखी री मोरा मनवा यूँ मुझसे बोले
भाग जगें मेरे जब उनके दर्श होलें
उन बिन मुझको चैन पड़े ना
डोलूँ इत उत ध्यान बँटे ना
छत पे कौआ भी बोले
आँखों से मेरे नीँद उड़ी है
प्यास जाने कैसी जगी है
दिल में उमंगें डोले
जाने कब आयेंगे साजन
बाट निहारूँ बनके पुजारन
मन पंछी सा डोले
@मीना गुलियानी
भाग जगें मेरे जब उनके दर्श होलें
उन बिन मुझको चैन पड़े ना
डोलूँ इत उत ध्यान बँटे ना
छत पे कौआ भी बोले
आँखों से मेरे नीँद उड़ी है
प्यास जाने कैसी जगी है
दिल में उमंगें डोले
जाने कब आयेंगे साजन
बाट निहारूँ बनके पुजारन
मन पंछी सा डोले
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें