विरही नैना नीर बहाए
कोई इन्हें आके समझाये
हर पल पलकों में रहते हैं
अश्रु बन जो छलक न पाए
गम नैनो में छिपा रहता
व्याकुल मन की कहते व्यथा
बदरी जब भी घिरके आये
उमड़ घुमड़ के जल बरसाए
सावन की रिमझिम का मौसम
बूँदों की टिपटिप सुनते हरदम
प्यासा सावन बीत न जाए
कहदो पिया से लौटके आएँ
@मीना गुलियानी
कोई इन्हें आके समझाये
हर पल पलकों में रहते हैं
अश्रु बन जो छलक न पाए
गम नैनो में छिपा रहता
व्याकुल मन की कहते व्यथा
बदरी जब भी घिरके आये
उमड़ घुमड़ के जल बरसाए
सावन की रिमझिम का मौसम
बूँदों की टिपटिप सुनते हरदम
प्यासा सावन बीत न जाए
कहदो पिया से लौटके आएँ
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना 👌
जवाब देंहटाएंatyant sundar kavita..
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