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रविवार, 2 सितंबर 2018

पछताओगे वरना

उन विशाल अट्टालिकाओं के पीछे से
कोई एकटक उसे निहार रहा था
एक विद्रूप सी स्मित रेखा थी उसके चेहरे पर
जो छल ,प्रपंच रच रही प्रतीत होती थी
वो भोली भाली ग्रामीण कन्या अपनी धुन में
इठलाते हुए  मंथरगति से चली जा रही थी
अचानक ही पीछे से उसने कन्या के कंधे पर
झपट्टा सा मारा तो उस कन्या ने पलटकर देखा
यकायक ही वो कन्या सकपका गई ,सहम गई
फिर भी उसने हिम्मत न हारी, वो पलटी
बिजली सी फुर्ती दिखाई ,सामने पड़े बांस को उठाया
पलटवार उस पर किया वो लड़खड़ाया और गिरा
वो ग्रामीण बाला अब साक्षात् चण्डी के रूप में थी
बांस त्रिशूल जैसा प्रतीत हो रहा था उसे घुमाने लगी
सीधा उसकी छाती पर तान दिया हुँकारने लगी
वो उसका चण्डी रूप देखकर डर गया
जल्दी से ही घबराकर उसके पाँव पड़ गया
अब वो लगा गिड़गिड़ाने लगा क्षमा मांगने
उस कन्या ने बोला फिर कभी ऐसा न करना
जान भी न बचा पाओगे पछताओगे वरना
@मीना गुलियानी 

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