कैसे दिन बीते कैसे कटी रतियाँ तू जाने ना
नैना बरसें जागूँ सारी रतियाँ तू माने ना
एक एक पल ये बरस सम लागे
व्याकुल नैना रोयें अभागे
तुम बिन कौन सुने इस दिल की
पीर जो अंतर् में मोरे जागे
कासे कहूँ पिया दर्द मैं अपना तू जाने ना
क्या हालत है तुम बिन मोरी
कबसे राह देखत हूँ तोरी
अब तो विनती सुनलो मोरी
बावरी हो गई विरह में तोरी
दर्द से दूखन लागि मोरी अखियाँ तू जाने ना
@मीना गुलियानी
नैना बरसें जागूँ सारी रतियाँ तू माने ना
एक एक पल ये बरस सम लागे
व्याकुल नैना रोयें अभागे
तुम बिन कौन सुने इस दिल की
पीर जो अंतर् में मोरे जागे
कासे कहूँ पिया दर्द मैं अपना तू जाने ना
क्या हालत है तुम बिन मोरी
कबसे राह देखत हूँ तोरी
अब तो विनती सुनलो मोरी
बावरी हो गई विरह में तोरी
दर्द से दूखन लागि मोरी अखियाँ तू जाने ना
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंक्या हालत है तुम बिन मोरी
कबसे राह देखत हूँ तोरी
अब तो विनती सुनलो मोरी
बावरी हो गई विरह में तोरी
विरह के दर्द को बाखूबी शब्दों में उतारा है ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है ....
नैना बरसें जागूँ सारी रतियाँ तू माने ना...
जवाब देंहटाएंबैरी भए प्रीतम है बडे बेरहम
पलक्षिण कटे ना जिया माने ना......
बहुत खूब, लाजबाब !
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