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शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

हमसफ़र हमनशीं न हुए

ऐ चाँद तू गवाह रहना
        मेरे उन पलों का जो
        दूरी में उनकी बिताए
        हर कदम पे धोखे खाए
        लब से कुछ कह न पाए

ऐ चाँद तू गवाह रहना
       मेरी उन हसीन यादों का
       जो संग पिया के गुज़रीं
       जो डोर बँधी न उलझी
       जब उलझी कभी न सुलझी

ऐ चाँद तू गवाह रहना
        पलों का जो हमारे न हुए
        साये की तरह साथ चले
        बेगानों की तरह मिले बिछुड़े
        हमसफ़र हमनशीं न हुए
@मीना गुलियानी 

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