ऐ चाँद तू गवाह रहना
मेरे उन पलों का जो
दूरी में उनकी बिताए
हर कदम पे धोखे खाए
लब से कुछ कह न पाए
ऐ चाँद तू गवाह रहना
मेरी उन हसीन यादों का
जो संग पिया के गुज़रीं
जो डोर बँधी न उलझी
जब उलझी कभी न सुलझी
ऐ चाँद तू गवाह रहना
पलों का जो हमारे न हुए
साये की तरह साथ चले
बेगानों की तरह मिले बिछुड़े
हमसफ़र हमनशीं न हुए
@मीना गुलियानी
मेरे उन पलों का जो
दूरी में उनकी बिताए
हर कदम पे धोखे खाए
लब से कुछ कह न पाए
ऐ चाँद तू गवाह रहना
मेरी उन हसीन यादों का
जो संग पिया के गुज़रीं
जो डोर बँधी न उलझी
जब उलझी कभी न सुलझी
ऐ चाँद तू गवाह रहना
पलों का जो हमारे न हुए
साये की तरह साथ चले
बेगानों की तरह मिले बिछुड़े
हमसफ़र हमनशीं न हुए
@मीना गुलियानी
Bahut khoob
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