इच्छाएँ हमेशा बलवती रहती हैं
ये कभी भी मरती ही नहीं हैं
कभी राहें भी धूमिल होती हैं
जिससे मन हताश हो जाता है
लेकिन मन के पाँव नहीं रुकते
मन मृगतृष्णा में ही डोलता है
जीवन में संतुष्टि आवश्यक है
खुशियों का स्त्रोत हमारे भीतर है
अपने जीवन को स्वयं संवार लो
सांसारिक कामनाओं का अंत करो
जीवन को कभी बोझ न समझो
अपने विवेक को जागृत कर लो
फिर आगे का रास्ता खुल जाएगा
@मीना गुलियानी
ये कभी भी मरती ही नहीं हैं
कभी राहें भी धूमिल होती हैं
जिससे मन हताश हो जाता है
लेकिन मन के पाँव नहीं रुकते
मन मृगतृष्णा में ही डोलता है
जीवन में संतुष्टि आवश्यक है
खुशियों का स्त्रोत हमारे भीतर है
अपने जीवन को स्वयं संवार लो
सांसारिक कामनाओं का अंत करो
जीवन को कभी बोझ न समझो
अपने विवेक को जागृत कर लो
फिर आगे का रास्ता खुल जाएगा
@मीना गुलियानी
Very nice
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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