सुनाऊँ क्या मैं ग़म अपना
तुझे बतला नहीं सकता
जो मेरे दिल की बातें हैं
तुझे समझा नहीं सकता
तुझे पाकर के खो देना
ये किस्मत की थी मजबूरी
मिलकर भी मिल नहीं पाए
गम भुलाया जा नहीं सकता
न जाने कैसा दौर आया
जिसने सितम है ये ढाया
जिग़र के हो गए टुकड़े
तुझे बतला नहीं सकता
गुलिस्तां ऐसा अब उजड़ा
बसाना जिसको मुश्किल है
वो शमा कैसे करूँ मैं रोशन
जिसे जलाया जा नहीं सकता
@मीना गुलियानी
तुझे बतला नहीं सकता
जो मेरे दिल की बातें हैं
तुझे समझा नहीं सकता
तुझे पाकर के खो देना
ये किस्मत की थी मजबूरी
मिलकर भी मिल नहीं पाए
गम भुलाया जा नहीं सकता
न जाने कैसा दौर आया
जिसने सितम है ये ढाया
जिग़र के हो गए टुकड़े
तुझे बतला नहीं सकता
गुलिस्तां ऐसा अब उजड़ा
बसाना जिसको मुश्किल है
वो शमा कैसे करूँ मैं रोशन
जिसे जलाया जा नहीं सकता
@मीना गुलियानी
मिलकर भी मिल नहीं पाए
जवाब देंहटाएंगम भुलाया जा नहीं सकता
बहुत खूब