मैं भाव भरी हूँ इक बदली
आज आँगन तेरे बरस गई
कितनी दुविधा में तुमसे मिली
अखियाँ भादो सी बरस गईं
कितने वो स्वप्न सुहाने थे
गुज़रे वो कल के ज़माने थे
थे कुछ वो ख़्वाब अधूरे से
लब पर दिल के फ़साने थे
उस पल का अब एहसास नहीं
लगता ही नहीं तू पास नहीं
मेरे दिल में समाया रहता है
अब देख मुझे मैं उदास नहीं
@मीना गुलियानी
आज आँगन तेरे बरस गई
कितनी दुविधा में तुमसे मिली
अखियाँ भादो सी बरस गईं
कितने वो स्वप्न सुहाने थे
गुज़रे वो कल के ज़माने थे
थे कुछ वो ख़्वाब अधूरे से
लब पर दिल के फ़साने थे
उस पल का अब एहसास नहीं
लगता ही नहीं तू पास नहीं
मेरे दिल में समाया रहता है
अब देख मुझे मैं उदास नहीं
@मीना गुलियानी
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंThanks anuradha chauhan ji
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