आओ चिराग़ मिलकर जलाएँ
तिश्नगी दिल की हम मिटायें
जो लम्हे पीछे हमसे छूट गए
हम उन्हें याद करके मुस्कुराएं
टूटकर गिर गए जो शाखों से
उन्हीं फूलों को फिर से सजाएँ
जिंदगी की टीस हम भुलाएं
दर्द को हम अपने गले लगाएं
@मीना गुलियानी
तिश्नगी दिल की हम मिटायें
जो लम्हे पीछे हमसे छूट गए
हम उन्हें याद करके मुस्कुराएं
टूटकर गिर गए जो शाखों से
उन्हीं फूलों को फिर से सजाएँ
जिंदगी की टीस हम भुलाएं
दर्द को हम अपने गले लगाएं
@मीना गुलियानी
जवाब देंहटाएंटूटकर गिर गए जो शाखों से
उन्हीं फूलों को फिर से सजाएँ बहुत सुंदर मीना जी सुप्रभात
दर्द को गले लगाएं ... टूटे हुए फूलों को फिर सजाएं ...
जवाब देंहटाएंजीवन का सही अर्थ तो यही है ... बहुत सुन्दर रचना ...