स्वप्न सारे टूट गए
अपने सभी रूठ गए
बुझे गए चिराग सभी
तारे पीछे छूट गए
पर हम यहीं खड़े
राह पर रुके रुके
वक्त के उतार की
ढलान देखते रहे
कल तो सब बहार थी
खुशियाँ बेशुमार थीं
रौनके ही रौनके थीं
महफिलें थी प्यार की
बदल गया है वो समां
ख्वाब हो गया धुआँ
आसमाँ सुलग उठा
दिल मेरा बिलख उठा
नाव जब मंझधार थी
दिल ने इक पुकार की
पतवार तुमने थाम ली
मेरी नैया पार की
@मीना गुलियानी
अपने सभी रूठ गए
बुझे गए चिराग सभी
तारे पीछे छूट गए
पर हम यहीं खड़े
राह पर रुके रुके
वक्त के उतार की
ढलान देखते रहे
कल तो सब बहार थी
खुशियाँ बेशुमार थीं
रौनके ही रौनके थीं
महफिलें थी प्यार की
बदल गया है वो समां
ख्वाब हो गया धुआँ
आसमाँ सुलग उठा
दिल मेरा बिलख उठा
नाव जब मंझधार थी
दिल ने इक पुकार की
पतवार तुमने थाम ली
मेरी नैया पार की
@मीना गुलियानी
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंSHI BAAT
जवाब देंहटाएंउत्तम रचना ह्र्दय स्पर्श मीना जी
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