आज धरती ने किया श्रृंगार
कुंकुम लगाई है माथे पर
हरित रंग के वसन पहनकर
घटा से कजरा चुराकर
अपने नैनों में लगाकर
फूलों के कंगन हैं पहने
जुगनू जैसे लगे चमकने
कानों में धान की बाली
शोभा है कैसी मतवाली
पैरों के नूपुर की शोभा
करधनी ने भी मन को मोहा
बिजुरी जैसी लगी दमकने
हीरे मोती लगे चमकने
झूले पड़े सावन की फुहार
धरती को मिली ख़ुशी अपार
नाचे मयूरा पपीहा करे पुकार
उमंग लेकर आई है बयार
वर्षा से ही पूर्ण होता है
धरती का सुंदर श्रृंगार
@मीना गुलियानी
कुंकुम लगाई है माथे पर
हरित रंग के वसन पहनकर
घटा से कजरा चुराकर
अपने नैनों में लगाकर
फूलों के कंगन हैं पहने
जुगनू जैसे लगे चमकने
कानों में धान की बाली
शोभा है कैसी मतवाली
पैरों के नूपुर की शोभा
करधनी ने भी मन को मोहा
बिजुरी जैसी लगी दमकने
हीरे मोती लगे चमकने
झूले पड़े सावन की फुहार
धरती को मिली ख़ुशी अपार
नाचे मयूरा पपीहा करे पुकार
उमंग लेकर आई है बयार
वर्षा से ही पूर्ण होता है
धरती का सुंदर श्रृंगार
@मीना गुलियानी
लालित्य से लबालब!!!
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