जाने काहे बदरा घिर आए
जिया मोरा कल नहीं पाए
सूना मोरा अँगना आये नहीं सजना
राह तकत मोरी अखियाँ थक जाएँ
कासे कहूँ बैना सूने हैं दिन रैना
दिन उगे फिर दिन ये ढल जाए
सूनी मेरी वीणा संगीत के बिना
बाती मन की जले फिर बुझ जाए
छिप गए हैं तारे छाए अँधियारे
सपनों की माला भी मुरझाए
@मीना गुलियानी
जिया मोरा कल नहीं पाए
सूना मोरा अँगना आये नहीं सजना
राह तकत मोरी अखियाँ थक जाएँ
कासे कहूँ बैना सूने हैं दिन रैना
दिन उगे फिर दिन ये ढल जाए
सूनी मेरी वीणा संगीत के बिना
बाती मन की जले फिर बुझ जाए
छिप गए हैं तारे छाए अँधियारे
सपनों की माला भी मुरझाए
@मीना गुलियानी
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