ऐ दिल ढूँढ अपनी मंजिल
जलाके मन का दीपक
अँधियारा अन्तर का मिटा
वीणा के तार कसके
सुर सप्तक तू जगा
मत भूल क्यों तू आया
कहाँ तुझको है जाना
ढूँढ अपना तू ठिकाना
छोड़ मृगतृष्णा की नगरी
हो जा प्रभु का दीवाना
@मीना गुलियानी
जलाके मन का दीपक
अँधियारा अन्तर का मिटा
वीणा के तार कसके
सुर सप्तक तू जगा
मत भूल क्यों तू आया
कहाँ तुझको है जाना
ढूँढ अपना तू ठिकाना
छोड़ मृगतृष्णा की नगरी
हो जा प्रभु का दीवाना
@मीना गुलियानी
हो जा प्रभु का दीवाना
जवाब देंहटाएं1ऐ दिल ढूँढ अपनी मंजिल-USKE CHRN HO MNJIL TRI
जलाके मन का दीपक
अँधियारा अन्तर का मिटा-DEKH USI KO
वीणा के तार कसके-NAAM USIKA GA HR SAANS PR
सुर सप्तक तू जगा—USI KA TU HO JA
3मत भूल क्यों तू आया-AATMA KI YATRA ANNT HAI
कहाँ तुझको है जाना—PTA NHIN KAHAN HAI MNJIL
ढूँढ अपना तू ठिकाना-VHI HAI TERA THIKANA-ASHOK-
छोड़ मृगतृष्णा की नगरी-VHI HAI SATHI SBKA SCHA
-LE SHRN CHRN KML KE USKI
हो जा प्रभु का दीवाना
•Whatever we are now is the result of our acts and thoughts in the past; and whatever we shall be in the future will be the result of what we think
जवाब देंहटाएंend do now
-Swami Vivekananda
बहुत ही सुन्दर रचना
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