बावरा मन देखता है कैसे कैसे सपने
कभी लगते बेगाने से कभी लगे अपने
सपनों में देखती हूँ सुंदर सी इक नदिया
पास में उसके है मेरी फूलों वाली बगिया
इन्हीं फूलों से बुनती हूँ ख़्वाब मैं अपने
प्यासी प्यासी अखियाँ भी देखती हैं राहें
आजा पिया कबसे तेरी राह ये निहारें
प्यासा प्यासा सावन न बीते बिन अपने
काली काली बदरी है छाई मोरे अंगना
कोई संदेशा पिया का लाई मोरे अंगना
पुरवइया संग डोले मन और मेरे सपने
@मीना गुलियानी
कभी लगते बेगाने से कभी लगे अपने
सपनों में देखती हूँ सुंदर सी इक नदिया
पास में उसके है मेरी फूलों वाली बगिया
इन्हीं फूलों से बुनती हूँ ख़्वाब मैं अपने
प्यासी प्यासी अखियाँ भी देखती हैं राहें
आजा पिया कबसे तेरी राह ये निहारें
प्यासा प्यासा सावन न बीते बिन अपने
काली काली बदरी है छाई मोरे अंगना
कोई संदेशा पिया का लाई मोरे अंगना
पुरवइया संग डोले मन और मेरे सपने
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर
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