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गुरुवार, 28 मई 2020

कम से कम

कम से कम तेरी मोहब्बत का  सहारा मिल जाता
अगर ये तूफान नहीं आता तो किनारा मिल जाता
बहुत दुःख झेले हैं हमने दूरी में तुझसे अब तक
न था  कोई आसमां था न कोई छत थी जमीं पर
चल रहे थे तन्हा और तन्हाई ही तो हमसफ़र थी
तुझसे बिछुड़ कर हमे अपनी कोई सुध बुध न थी
@मीना गुलियानी 

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