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बुधवार, 13 मई 2020

मोहे पिया मिलन की आस - कहानी

रजत बरामदे में बैठा हुआ अखबार देख रहा था।  अचानक ही उसकी नज़र एक लड़की की फोटो पर पड़ी। ध्यान से देखने पर उसे याद आया कि यह तो प्रिया है जो उसकी क्लास में पढ़ती थी जब वो दसवीं में पढ़ता था अब तो रजत एम बी ए कर रहा था ताकि कोई अच्छी नौकरी मिल जाए।   उसकी एक  बहिन रीता  भी थी जो दो साल उससे छोटी थी।   वो उससे बहुत शरारत करता था उसकी चोटी लम्बी थी तो उसको ही बार बार खींच लिया करता था। उसे बहुत मज़ा आता था जब वो झुंझलाकर मम्मी के पास शिकायत लेकर जाती थी कि  रजत भैया बहुत परेशान करते हैं।   मम्मी जी भी कहने लग जाती कोई बात नहीं और दो साल में तो अपने घर यानि कि ससुराल चली जायेगी फिर कौन तुझे तंग करेगा।   यही दिन हैं मस्ती के खूब प्यार से रहो।  रीता को यह सुनकर मायूसी हो जाती थी।   क्योकि मायके जैसा सुख हर किसी के भाग्य में नहीं होता।    ससुराल भी भाग्य से ही  अच्छा मिलता है। 

प्रिया  की फोटो के नीचे लिखा था कि पड़ौस के एक स्कूल में किसी डांस की प्रतियोगिता की जज बनकर आई थी।   स्कूल में वो डांस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया करती थी। रजत ने उससे मिलने के लिए उस स्कूल में जाने का निश्चय किया।  अपनी बहिन रीता को भी कह दिया आज शाम को पाँच बजे पड़ौस के स्कूल में डांस देखने जायेंगे।   रीता यह सुनकर उछल पड़ी क्योंकि डांस देखना उसकी कमज़ोरी थी।  अब दोनों समय पर वहाँ पहुँच गए।   मंच पर प्रिया जज की कुर्सी पर आसीन थी।   उसकी भी निगाह रजत पर जब पड़ी तो वो भी हैरानी से उसकी ओर देखने लगी।   उसने मंच संचालक से कहकर दो कुर्सी अपनी बगल में लगवा लीं और रजत से बोली मुझे तुम्हें देखकर बहुत ही ख़ुशी हो रही है और तुम तो पहले से भी खूबसूरत हो गए हो।  रजत ने भी उससे कहा कि देखो इतने साल बीतने के बाद भी मैंने तुमको भुलाया नहीं है।  उसने प्रिया से पूछा इतने समय में क्या किया  तो उसने बताया कि पढ़ाई पूरी करी फिर उसने कथक डांस का प्रशिक्षण विधिवत प्राप्त किया था। अब वो बड़े बड़े प्रोग्राम में भी हिस्सा लेती थी।  कई स्कूल उसे जज बनने का निमंत्रण भेजते थे।  इस तरह बातें चलती रहीं।   दोनों ने एक दूसरे के फोन नंबर लिए।   अब तो रोज़ का एक क्रम सा हो गया।  दोनों का ही मन नहीं लगता था जब तक कि एक बार दिन में बात न कर  लें।

  एक दिन रजत ने अखबार में अपने लिए एक मैनेजर की पोस्ट देखकर इन्टरव्यू के लिए फ़ार्म भरा।   उसे बुलाया गया और नौकरी भी पक्की हो गई।   आज वो बहुत खुश था।   इस ख़ुशी को वो प्रिया  से बाँटना चाहता था।   उसने प्रिया को फोन किया और कहा आज शाम को अगर तुम्हें कोई ऐतराज़ न हो तो हम दोनों एक फिल्म देखने चलते हैं।   प्रिया मान गई और शाम को वो फिल्म हाल के बाहर गेट पर समय पर पहुँच गई।  रजत तो पहले ही आ गया था।  अब दो टिकिट रजत ने लिए और फिल्म हाल में अंदर आए।  आपकी कसम फिल्म का नाम था जो बहुत ही रोमांटिक फिल्म थी।  प्रिया का हाथ रजत ने अपने हाथ में ले लिया और बोला क्या तुम मुझे पसंद करती हो।  प्रिया ने कहा तुम्हें कौन पसंद नहीं करेगा। यह कहकर प्रिया ने भी अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया।  रजत ने धीरे से उसके बालों को हाथ से सहलाया उसने कोई ऐतराज़ नहीं किया।   रजत ने कहा मुझे भी तुम बहुत अच्छी लगती हो तुम चाहो तो मेरी मम्मी तुम्हारे घर आकर शादी के बारे में तुम्हारी मम्मी से बात कर  लेगी।


 प्रिया बोली रजत तुम्हारे घर का स्टेंट्स हमारे घर से काफी ऊँचा है।   तुम्हारे घर वालों को काफी अपेक्षाएँ होंगीं जो हम लोग पूरा नहीं कर पायेंगे।   मेरे तो पापा जी का भी दो साल पहले ही देहांत हो गया था।   अब मम्मी जी एक स्कूल में अध्यापिका हैं और मैं तो कथक डांस के प्रोग्राम भी करती हूँ कहीं  तुम्हारे घर वालों को तो कोई ऐतराज़ न होगा।   रजत ने कहा उन सबको राज़ी करना मेरी जिम्मेदारी है।  तुम तो अपनी कहो क्या तुम्हारी तरफ से हाँ है तब तो मैं अपनी मम्मी से बात करूँ।   इस पर प्रिया बोली अँधा क्या चाहे दो आँखें।   तुमने तो खुद आगे बढ़कर मेरा हाथ थामने की बात करके मेरे सपने को पूरा कर दिया। मैं तो  न जाने कबसे मैं इसी दिन की आस लगाए पलकें बिछाकर इंतज़ार कर रही थी पर मुझमें कहने के लिए साहस नहीं था।  रजत ने प्रिया को अपने गले लगा लिया और कहा अब तुम्हें ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी तुम्हारी आस शीघ्र ही पूरी होगी और हम दोनों एक डोरी में बंध जायेंगे।
@मीना गुलियानी 

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