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मंगलवार, 26 मई 2020

मैं दिल का बुरा नहीं हूँ -- कहानी

मैं दिल का बुरा नहीं हूँ - यह रोहित का तकिया कलाम है।   हर आधे घंटे बाद उसके मुँह से निकल ही जाता है।  वैसे भी रोहित बहुत ही अच्छा खाते पीते घर का सुंदर सजीला नौजवान है।   किसी प्राइवेट कम्पनी में सी ई ओ की पोस्ट पर काम करता है।   सब व्यक्ति उससे बात करना जुड़ा रहना चाहते हैं।   उसका रवैया बहुत अच्छा है। अपने मातहत कर्मचारियों से भी उसका व्यवहार बहुत अच्छा है।   समय की पाबंदी भी उसका गुण है।   उसे जो भी कहना होता है कर्मचारी के सामने कहता है उसके पीठ पीछे बुराई नहीं करता है।  नीना उसकी स्टेनो है वो भी बहुत सुंदर है लेकिन बहुत ही विनम्र और शालीनता से व्यवहार करती है। सौम्यता उसके चेहरे से झलकती है वैसे वो एक मध्यम परिवार की लड़की है  और अपने काम से काम रखती है।   लड़कों से ज्यादा बात नहीं करती। यही सारे गुण रोहित को बहुत पसंद हैं मन ही मन वो उसे चाहता भी है पर उसने कभी इज़हार नहीं किया।  वो एक अच्छे से मौके की इंतज़ार में था कि कब वो अपने दिल की बात उससे कहे।   एक दिन जब नीना बस स्टाप पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी तो अचानक पता चला कि आज तो बसों की हड़ताल है।  इतने में उसने देखा कि रोहित अपनी कार से गुज़र रहा था।  रोहित को पता चल चुका था कि आज हड़ताल की वजह से बस नहीं आयेगी।  रोहित ने अपनी कार उसके पास लाकर रोक दी और गेट भी खोल दिया बोला मैं तुम्हे ड्राप कर दूँगा।   नीना ने ज्यादा हील हुज्जत नहीं की और कार में बैठ गई।   रोहित कार में मिरर से उसका चेहरा देख रहा था उसमे बार बार संकोच जैसे भाव आ जा रहे थे।   नीना बार बार  अपना चेहरा रुमाल से पोंछ रही थी।   शायद कुछ नर्वस थी।

रोहित ने उसको बोला -नीना आराम से बैठो।  टेक इट इज़ी।   नीना ने कहा - मैं ठीक हूँ।   रोहित ने पूछा कहीं तुमको मुझसे कोई डर  तो नहीं लग रहा है।  मैं दिल का बुरा नहीं हूँ।  थोड़ा बहुत मज़ाक कर लेता हूँ कभी कभी जब ज्यादा बोर हो जाता हूँ।   ज्यादा देर तक मैं सीरियस नहीं रह सकता हूँ।   तुम भी कुछ बात करो कुछ अपने घर के बारे में बताओ ताकि सफर भी आराम से कट जाए।   नीना ने बताया कि उसके पापा किसी ऑफिस में हैड क्लर्क की पोस्ट पर काम करते हैं और ममी जी घर पर ही  रहती हैं।  मेरा एक छोटा भाई है जो स्कूल में जाता है अगले साल वो भी कालेज जाना शुरू करेगा।   अब रोहित ने कहा - तुमने मेरे बारे में तो कुछ पूछा नहीं खैर कोई बात नहीं मेरे पापा  भारत मंत्रालय में असिस्टेंट सेकेरेट्री हैं और ममी जी हाऊस वाईफ हैं।  घर का मैं ही इकलौता ममी का चहेता बेटा हूँ।  ममी जी मेरी शादी के बारे में सोचने लगी है।  वैसे रिश्ते भी आने शुरू हो चुके हैं पर मुझे कोई भी लड़की अभी तक पसंद नहीं आई।   हाँ जब मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तो तुम मुझे अच्छी लगती हो। अब नीना का घर आ चुका था।  उसने कार रुकवाई और चाय पीकर जाने को बोला उसने कहा मैं किसी दिन अपनी  ममी के साथ आऊँगा।

दूसरे दिन भी बस की हड़ताल खत्म नहीं हुई थी तो आज फिर रोहित से लिफ्ट लेनी पड़ गई।   लेकिन आज उसके मन में कोई घबराहट नहीं थी।  रोहित ने उसे ऑफिस ड्राप किया और बोला शाम को यदि बस न आये तो मैं घर पर ड्रॉप कर  दूँगा।   नीना ने कहा - जी ठीक है  और वह  कार से उतर कर अपने कमरे में चली गई।   अब शाम का वक्त होने वाला था।  रोहित कल की तरह उसके बस स्टॉप पर मिल गया।  नीना ने कार का गेट खोला और बैठ गई।   रोहित ने कहा - आज तो तुम नर्वस नहीं लग रही हो।   क्या मैं तुमसे एक पर्सनल प्रश्न पूछ सकता हूँ।  नीना ने कहा - पूछिए।  रोहित ने पूछा क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो मैं तो जबसे तुम्हें ऑफिस में सीट पर काम करते हुए देखता हूँ तबसे तुम्हारा फैन बन चुका हूँ यदि तुम मुझे पसंद करती हो तो मैं अपनी ममी जी को लेकर तुम्हारे घर चाय पीने आ जाऊँगा और तुम्हारी ममी से तुम्हारा हाथ भी शादी के लिए मांग लूँगा। 

नीना ने कहा - जी यह बात सच है कि आपसे तो कोई भी लड़की विवाह करना चाहेगी क्योंकि आप हर तरह से योग्य पुरुष हैं लेकिन हमारा घर तो इस लायक भी नहीं है कि आपसे शादी की बात कर सकें।  हमारे घर और आपके घर के बीच तो जमीन आसमान का फर्क है।  मखमल में टाट का पैबंद नहीं लग सकता।  शायद मेरी ममी जी और आपकी ममी के विचार भी ऐसे ही होंगे।  आपकी ममी भी चाहेंगी कि बराबर के खानदान में रिश्ता तय हो।  वैसे यह तो मेरी राय है आप ज्यादा समझदार हैं।  रोहित ने कहा - तुम मुझे और सोचकर बताना मेरे बारे में तुम्हारी क्या राय है।  नीना बोली यदि आप मुझे पसंद हों और आपकी ममी न राज़ी हों तो आप क्या करेंगे। रोहित बोला  ममी को मैं मना लूँगा।   अब मैं तुम्हारे घर जल्दी  ही अपनी ममी के साथ अगले रविवार को आऊँगा और तुम्हारी ममी से तुम्हारा हाथ भी मांग लूँगा।   मुझे लगता है तुम मुझे निराश नहीं करोगी क्योंकि मैं दिल का बुरा नहीं हूँ  और दहेज़ के ख़िलाफ़ हूँ।  नीना ने कहा - ठीक है फिर मिलेंगे। 

 अब अगला रविवार भी आ गया और वायदे के मुताबिक़ रोहित अपनी ममी जी के साथ आया।  नीना ने भी घर पर अपनी ममी से सब बता दिया था।  जब रोहित की ममी ने रिश्ते की बात चलाई तो नीना की ममी ने कहा - हमारे पास कोई दहेज़ वगैरह देने के लिए नहीं है दो कपड़ों में ही लड़की का विवाह कर देंगे।   रोहित की ममी बोली आए आप तो कोई चिंता न करें क्योंकि भगवान की दया से सब कुछ है हमारे पास बस सिर्फ आपकी बेटी ही हम शुभ मुहूर्त निकलवा कर ले जायेंगे।  सिर्फ घर के ही चार लोग आ जायेंगे और कन्या ले जायेंगे फिर हम आशीर्वाद समारोह  अपने घर में करेँगे।   इस तरह सब बातें हो गईं अब नीना के पिता जी ने रोहित के हाथ में एक नारियल और ग्यारह रुपए दे दिए।  एक मिठाई का डिब्बा रोहित की ममी जी को दिया और इस तरह से नेग हो गया।  अब तो सिर्फ फेरे होने बाकी थे जो पंडित जी के अनुसार होने थे।  अब रोहित और उसकी ममी अपने घर लौट आए।  अब तो रोहित की ममी को भी शादी की जल्दी थी तो जल्दी ही एक सप्ताह के भीतर का ही मुहूर्त निकल गया।   शादी का दिन भी आ गया और सादगी से फेरे हो गए और रोहित की नीना जीवन संगिनी बन गई।   रोहित ने कहा अब बताओ मैं कैसा हूँ वैसे जैसा भी हूँ पर मैं दिल का बुरा नहीं हूँ और वायदे का पक्का हूँ।   नीना मुस्कुरा दी और रोहित ने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया।   अब तो वो दोनों एक हो गए थे।
@मीना गुलियानी        

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