यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 30 मई 2020

सारा रंग बिखर जाता है

सारा  रंग बिखर जाता है
तू नहीं कहीं नज़र आता है
दिल ये देख के घबराता है
घोर अँधेरा सा छा जाता है
संकट में दिल घिर जाता है
आँखों में तू सिमट जाता है
दिल को सुकूँ  आ जाता है
इंद्रधनुष सा बन जाता है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें