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रविवार, 17 मई 2020

और कब तक

और कब तक ये दुःख सहेंगे
नैन भी प्यासे कब तक रहेंगे
तीर दिल पर हम भी सहेंगे
मेघ ये कब तलक न बरसेंगे
कयामत के दिन कब ढलेंगे
पत्थर दिल मोम पिघलेंगे
@मीना गुलियानी 

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