आज धरती दुल्हन सी नज़र आई है
ओढ़ तारों की चुनर खुद ही शरमाई है
चाँद भी देख रहा तिरछी नज़र से उसको
गगन भी डोल उठा दे हिण्डोला उसको
बादल ने रिमझिम बारिश भी बरसाई है
देखो कैसा बदला समां हर नज़ारा है जवां
पत्ता पत्ता बूटा बूटा बोले नज़रों की जुबां
फूल से भँवरे ने भी प्रीत कैसी लगाई है
कोई अजनबी न रहा सब हो गए अपने
अरमां जगने लगे सच हो गए सपने
जुगनू चमकने लगे बजी कहीं शहनाई है
अंबर खुश है बहुत धरती का बदला समां
दोनों हिलमिल से गए चाँद हो गया बेजुबां
आज धरती ने पायल अपनी छनकाई है
@मीना गुलियानी
ओढ़ तारों की चुनर खुद ही शरमाई है
चाँद भी देख रहा तिरछी नज़र से उसको
गगन भी डोल उठा दे हिण्डोला उसको
बादल ने रिमझिम बारिश भी बरसाई है
देखो कैसा बदला समां हर नज़ारा है जवां
पत्ता पत्ता बूटा बूटा बोले नज़रों की जुबां
फूल से भँवरे ने भी प्रीत कैसी लगाई है
कोई अजनबी न रहा सब हो गए अपने
अरमां जगने लगे सच हो गए सपने
जुगनू चमकने लगे बजी कहीं शहनाई है
अंबर खुश है बहुत धरती का बदला समां
दोनों हिलमिल से गए चाँद हो गया बेजुबां
आज धरती ने पायल अपनी छनकाई है
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर मीना से रस से सरोबार सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंमीना जी पढे, सादर
हटाएंसुंदर मीना जी
जवाब देंहटाएंati sunder Meena ji
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