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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

धरती की दी प्यास बुझा

आज सुहानी बरखा आई
धरती भी कितनी हर्षाई
फूल लगे देखो इतराने
भँवरे भी लगे मंडराने

कोयल ने फिर कूक मचाई
छमछम करती बारिश आई
कोंपल पर लगी मोती सी
दमके  हीरे नग की जैसी

धरती की हरियांली देखो
चंदा का शर्माना देखो
बदली में जाके छुप गया वो
तारों को लेके संग लिए वो

मोर लगा झूमने नाचने
पी पी करके बोला पपीहा
मेघ ने पानी दिया बरसा
धरती की दी प्यास बुझा
@मीना गुलियानी


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