आज सुबह ही गगन ने
उषाकिरण की लालिमा से
धरती की मांग सजा दी
हरित तृणों को संवारकर
पग में पायल पहना दी
टेसू के फूल पीसकर
पैरों में महावर रचा दी
हरे पत्तों की मेहँदी लगा दी
मोगरे चमेली से गजरा बनाया
धरती के बालों पे लगाया
संध्या ने भी खेल रचाया
चंदा को धरती से मिलाया
तारों की चुनरी ओढ़ाकर
धरती को दुल्हन सा सजाया
चपला दामिनी चमकी नभ में
बदरी भी देखो घिर आई
मस्ती की बयार चहुँ ओर छाई
आज हर कली कली है मुस्काई
@मीना गुलियानी
उषाकिरण की लालिमा से
धरती की मांग सजा दी
हरित तृणों को संवारकर
पग में पायल पहना दी
टेसू के फूल पीसकर
पैरों में महावर रचा दी
हरे पत्तों की मेहँदी लगा दी
मोगरे चमेली से गजरा बनाया
धरती के बालों पे लगाया
संध्या ने भी खेल रचाया
चंदा को धरती से मिलाया
तारों की चुनरी ओढ़ाकर
धरती को दुल्हन सा सजाया
चपला दामिनी चमकी नभ में
बदरी भी देखो घिर आई
मस्ती की बयार चहुँ ओर छाई
आज हर कली कली है मुस्काई
@मीना गुलियानी
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