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शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

कली कली है मुस्काई

आज सुबह ही गगन ने
उषाकिरण की लालिमा से
धरती की मांग सजा दी
हरित तृणों को संवारकर
पग में पायल पहना दी
टेसू के फूल पीसकर
पैरों में महावर रचा दी
हरे पत्तों की मेहँदी लगा दी
मोगरे चमेली से गजरा बनाया
धरती के बालों पे लगाया
संध्या ने भी खेल रचाया
चंदा को धरती से मिलाया
तारों की चुनरी ओढ़ाकर
धरती को दुल्हन सा सजाया
चपला दामिनी चमकी नभ में
बदरी भी देखो घिर आई
मस्ती की बयार चहुँ ओर छाई
आज हर कली कली है मुस्काई
@मीना गुलियानी 

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