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रविवार, 29 जुलाई 2018

मिटाये तपन

कैसा ये मिलन
तरसे है मन
बेकल चितवन
उलझे हैं नयन
ठंडी ये पवन
लगाए अगन
सुलझाए कैसे
बड़ी उलझन
लाये संदेशा
मस्त पवन
लहरों सा डोले
देखो ये मन
करे व्यर्थ चिंतन
चातक पी पी की
लगाए रटन
कोयल की कूक
अकुलाए मन
फूलों पे करें
भँवरे गुञ्जन
बारिश बरसाए
देखो ये घन
धरती की ये
मिटाये तपन
@मीना गुलियानी 

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