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शनिवार, 7 जुलाई 2018

बिन खिले मुरझाई है

आज फिर से तुम्हारी याद चुपके से चली आई है
मेरे मन की कली भी होले से फिर मुस्कुराई है

तुमने न आने की कसम कभी खाई थी
तब तुमने दिल तोड़ने की रस्म निभाई थी
तुम्हारी याद ने फिर बगिया मेरी महकाई है

दिल को सुकूँ मिलता है तुझे याद करके
मुझे हौसला मिलता है चाहत का रंग भरके
जाने न हम क्यों  होती दुनिया में रुसवाई है

तुम्हें कसम है मेरी दूर तुम न जाया करो
जाओ कभी तो जल्दी ही लौट आया करो
वरना  तमन्ना मेरी बिन खिले मुरझाई है
@मीना गुलियानी

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