मैं अपनी दुआओं में वो असर कहाँ से लाऊँ
जो दिल को तेरे लुभाए वो सदा कहाँ से लाऊँ
तू बेख़बर है मुझसे नाराज़ मैं नहीं हूँ
हूँ परेशां फिर भी तुझसे खफ़ा मैं नहीं हूँ
तेरे दीद की है हसरत तुझे कैसे मैं बुलाऊँ
तू किधर जा छिपा है दिल मेरा ढूँढता है
दे इक मुझे इशारा ये ज़माना पूछता है
जो नज़र से आज ओझल उसे सामने मैं पाऊँ
@मीना गुलियानी
जो दिल को तेरे लुभाए वो सदा कहाँ से लाऊँ
तू बेख़बर है मुझसे नाराज़ मैं नहीं हूँ
हूँ परेशां फिर भी तुझसे खफ़ा मैं नहीं हूँ
तेरे दीद की है हसरत तुझे कैसे मैं बुलाऊँ
तू किधर जा छिपा है दिल मेरा ढूँढता है
दे इक मुझे इशारा ये ज़माना पूछता है
जो नज़र से आज ओझल उसे सामने मैं पाऊँ
@मीना गुलियानी
वाह सुंदर तेरे दिल को जो लुभा दे वो अदा कहां से लाऊं।
जवाब देंहटाएंसुंदर 👌
जवाब देंहटाएंजय DURGE दुर्गति परिहारिणी
जवाब देंहटाएंशुम्भ विदारिणी-मातु भवानी,
आदि शक्ति पर ब्रह्म प्रभु की,जगत जननी CHAUN वेद बखानी,
ब्रह्मानन्द शरण में आयो
हम पर ध्यान धरो आराधिनी- अशोक-प्रस्तुति
अरुण यह मधुमय देश हमारा
जहाँ पहुंच अनजान क्षितिज को
मिलता एक सहारा
लघु सुरधनु से पंख पसारे
शीतल मलय समीर सहारे
उड़ते खग जिस ऑर मुंह किये
समझ नीd निज प्यारा-JAI SHNKR PRSAD-COLLN-ASHOK