नीरव निशीथ में चन्द्र किरण
ज्योत्स्ना हास से धवलित हो
सच कहना तव उर सपनों में
मिलने की मृदु मनुहार न थी
क्या कभी तुम्हारे प्राणों ने
प्रियतम की मूक पुकार न की
@मीना गुलियानी
ज्योत्स्ना हास से धवलित हो
सच कहना तव उर सपनों में
मिलने की मृदु मनुहार न थी
क्या कभी तुम्हारे प्राणों ने
प्रियतम की मूक पुकार न की
@मीना गुलियानी
बहुत सुन्दर रचना मीना जी । सरस मन की सहज अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
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