कैसे करूँ तुम पर यकीं
तुम अभी भी बदले नहीं
जहाँ पर तुम पहले खड़े थे
आज भी तुम जमे हो वहीँ
दिल को एहसास तो है
थोड़ा सा विश्वास तो है
पर है सब कुछ अधूरा सा
जाने कैसा कयास सा है
मन में होती है उलझन
दिल में होती है हलचल
शांत लहरें भी मचली
कहती उस पार ले चल
@मीना गुलियानी
तुम अभी भी बदले नहीं
जहाँ पर तुम पहले खड़े थे
आज भी तुम जमे हो वहीँ
दिल को एहसास तो है
थोड़ा सा विश्वास तो है
पर है सब कुछ अधूरा सा
जाने कैसा कयास सा है
मन में होती है उलझन
दिल में होती है हलचल
शांत लहरें भी मचली
कहती उस पार ले चल
@मीना गुलियानी
सुंदर रचना
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