यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 31 जुलाई 2018

बारिश की फुहार रंग लाई

रिमझिम रिमझिम बूँदे आई
छमछम बरसीं आज ज़मी पर
नभ में कितने सारे हैं पक्षी
खुश होते सब गगन में उड़कर
कोयल भी है कूक सुनाती
अबके मन को है वो हर्षाती
पपीहा ऊँची टेर लगाता
पी पी करके मेघ बुलाता
फिर आती भेड़ों की टोली
बच्चे उनसे करते ठिठोली
उनके आगे पीछे वो भागें
वो सब अपना रास्ता नापें
नाव चलाने की आई है बारी
बच्चे करने लगे हैं तैयारी
कागज़ की सब नाव बनाते
ठुमक ठुमक पानी में चलाते
बादल फिर आता इतराकर
बरसाता बारिश वो मनभर
मेंढक भी टर्राने लगता है
मेघ को बुलाने लगता है
गगन में इंद्रधनुष बन जाता
जिसे  देखना मन को लुभाता
धरती पर छाई हरियाली
जिसे देख फूला है माली
हरित तृणों पर चमके मोती
जगमग जगमग आभा होती
झूलों की फिर आई है बारी
झूले है वृषभानु की दुलारी
कान्हा जी उनको झूला झुलाएं
सभी मिलजुल कर ख़ुशी मनाएं
सौंधी सौंधी खुशबु सी आई
बारिश की फुहार रंग लाई
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी: