यहाँ क्या हो रहा है , नहीं तू बेख़बर है
मेरी बन्दगी है कम , तुझे पूरी फ़िक्र है
मैंने कब माँगा तुझसे, झोली में खज़ाना भर दे
जो भी दे ख़ुशी से , पर इतनी मेहर दे
तू सुख दे या ग़म ,पर आँखे न हों नम
मैं हूँ खुदगर्ज़ इंसान ,माँगती हूँ तुझसे रहम दे
दुनिया ठुकराती है , तेरा दर नज़र आता मुझे
तू ही इक सहारा है , तू ही किनारा दे मुझे
मेरे पापों ने ,मेरे कर्मों ने डुबोया है मुझे
तू ही खिवैया बन ,पार लगा ,बचाले तू मुझे
@मीना गुलियानी
मेरी बन्दगी है कम , तुझे पूरी फ़िक्र है
मैंने कब माँगा तुझसे, झोली में खज़ाना भर दे
जो भी दे ख़ुशी से , पर इतनी मेहर दे
तू सुख दे या ग़म ,पर आँखे न हों नम
मैं हूँ खुदगर्ज़ इंसान ,माँगती हूँ तुझसे रहम दे
दुनिया ठुकराती है , तेरा दर नज़र आता मुझे
तू ही इक सहारा है , तू ही किनारा दे मुझे
मेरे पापों ने ,मेरे कर्मों ने डुबोया है मुझे
तू ही खिवैया बन ,पार लगा ,बचाले तू मुझे
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना
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