कभी ऐसी भी हवा तो चले
कौन कैसा है पता तो चले
तुम उठके अभी से कहाँ को चले
अभी तो मिटाने हैं शिकवे गिले
कितनी मुद्दत बाद हमें तुम मिले
मिटाने हैं सदियों के ये फ़ासले
अभी तो शुरू किये बातों के मसले
पूरे कहाँ होंगे अभी ये सिलसिले
उम्मीदों को अपनी जगाए रखना
कहना उनसे आके ख़्वाबों में मिलें
@मीना गुलियानी
कौन कैसा है पता तो चले
तुम उठके अभी से कहाँ को चले
अभी तो मिटाने हैं शिकवे गिले
कितनी मुद्दत बाद हमें तुम मिले
मिटाने हैं सदियों के ये फ़ासले
अभी तो शुरू किये बातों के मसले
पूरे कहाँ होंगे अभी ये सिलसिले
उम्मीदों को अपनी जगाए रखना
कहना उनसे आके ख़्वाबों में मिलें
@मीना गुलियानी
बहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना 👌👌👌
जवाब देंहटाएं