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बुधवार, 11 अप्रैल 2018

बेकार हठ करते हो

तुम्हारा चेहरा सब कुछ  बयां करता है
जो तुम्हारा मन गुस्ताखियाँ करता है

एक झलक पाने को कितना चलते हो
सफर है मुश्किल पर नहीं  समझते हो

 मुकदद्ऱ में नहीं बेकार ज़िद करते हो
तकदीर बदलने को क्या कर गुज़रते हो

लौट भी जाओ मान लो तुम कहना मेरा
मिलेंगे फिर कभी बेकार हठ करते हो
@मीना गुलियानी 

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