कैसे कहदूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
मिलते वो रोज़ हैं पर बात नहीं होती है
वो कभी भूले से भी पूछते जो हाल मेरा
दिन तो कट जाता है पर रात नहीं होती है
तुम कभी भूले से भी आइना देखा न करो
खुद पे मिट जाना बड़ी बात नहीं होती है
चुपके दुनिया से पहरों आँसू हम बहाते हैं
कब इन आँखों से बरसात नहीं होती है
गर वो सामने आ जाएँ तो पूछें हम कैसे
नज़रें मिलती हैं मगर बात नहीं होती है
@मीना गुलियानी
मिलते वो रोज़ हैं पर बात नहीं होती है
वो कभी भूले से भी पूछते जो हाल मेरा
दिन तो कट जाता है पर रात नहीं होती है
तुम कभी भूले से भी आइना देखा न करो
खुद पे मिट जाना बड़ी बात नहीं होती है
चुपके दुनिया से पहरों आँसू हम बहाते हैं
कब इन आँखों से बरसात नहीं होती है
गर वो सामने आ जाएँ तो पूछें हम कैसे
नज़रें मिलती हैं मगर बात नहीं होती है
@मीना गुलियानी
http://anoopviroodh.blogspot.in/2018/04/indirect-taxes-terminated-in-gst.html
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