दिल पे जब हो बोझ ये भारी
कैसे कोई मुस्कुराए दम भर
शाखों पर भी वीरानी है
नहीं कोई हरियाली इन पर
कैसे कोई पंछी चुगेगा दाना
उनके पँख भी कटे यहाँ पर
कैसे निकलें घर से बाहर
सबकी नज़रें टिकी यहाँ पर
@मीना गुलियानी
कैसे कोई मुस्कुराए दम भर
शाखों पर भी वीरानी है
नहीं कोई हरियाली इन पर
कैसे कोई पंछी चुगेगा दाना
उनके पँख भी कटे यहाँ पर
कैसे निकलें घर से बाहर
सबकी नज़रें टिकी यहाँ पर
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें