आओ नदिया के उस पार चलें
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी हवाएँ मन को मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन फ़िज़ाएं बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के सारे गिले शिकवे भूलें
अपना प्यारा सा घर वहीं बसाएं
सुन्दर सपनों से उसे हम सजाएँ
जहाँ धरती से मिलता आसमान हो
दुःख दर्द का नामोनिशान न हो
जहाँ सब हिलमिल कर रहते हों
दुःख सुख सब सांझा करते हों
जहाँ सिर्फ प्रेम और भाईचारा हो
ऐसा प्यारा सा गाँव वो हमारा हो
@मीना गुलियानी
वहाँ कल कल जलधारा बहती है
ठंडी हवाएँ मन को मोहती हैं
फूलों की सुरभि मदहोश करती है
सन सन फ़िज़ाएं बहकाती हैं
जहाँ पर्वत से सुरम्य झरने बहते हैं
बरगद के पेड़ की छाँव में चलें
वहाँ हम दोनों प्रेम से झूला झूलें
एक दूसरे के सारे गिले शिकवे भूलें
अपना प्यारा सा घर वहीं बसाएं
सुन्दर सपनों से उसे हम सजाएँ
जहाँ धरती से मिलता आसमान हो
दुःख दर्द का नामोनिशान न हो
जहाँ सब हिलमिल कर रहते हों
दुःख सुख सब सांझा करते हों
जहाँ सिर्फ प्रेम और भाईचारा हो
ऐसा प्यारा सा गाँव वो हमारा हो
@मीना गुलियानी
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