मैं अपने अन्तर के
अन्धकार को भेदकर
प्रकाश पुंज को
पाना चाहती हूँ
इड़ा पिंगला सुषुम्ना
का संगम मैं स्वयं
खुले नेत्रों से
देखना चाहती हूँ
अनहद का नाद
सुनना चाहती हूँ
त्रिकुटी के अमृत
का स्वाद भी
चखना चाहती हूँ
उस अनन्त में
खुद को विलीन
करना चाहती हूँ
@मीना गुलियानी
अन्धकार को भेदकर
प्रकाश पुंज को
पाना चाहती हूँ
इड़ा पिंगला सुषुम्ना
का संगम मैं स्वयं
खुले नेत्रों से
देखना चाहती हूँ
अनहद का नाद
सुनना चाहती हूँ
त्रिकुटी के अमृत
का स्वाद भी
चखना चाहती हूँ
उस अनन्त में
खुद को विलीन
करना चाहती हूँ
@मीना गुलियानी
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