तुम्हारी याद आई शाम होते होते
बुझने लगा चिराग़ शाम होते होते
ग़म के दरवाज़े भी खुलने लगे
तेज़ रूख़ हवा का होते होते
जाने कौन कैसे दिल में समाया
टूटे सब ख़्वाब पूरे होते होते
@मीना गुलियानी
बुझने लगा चिराग़ शाम होते होते
ग़म के दरवाज़े भी खुलने लगे
तेज़ रूख़ हवा का होते होते
जाने कौन कैसे दिल में समाया
टूटे सब ख़्वाब पूरे होते होते
@मीना गुलियानी
वाह!!! बहुत खूब!!!
जवाब देंहटाएंवाहः बहुत सुंदर
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