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शनिवार, 28 अप्रैल 2018

ख़्वाब पूरे होते होते

 तुम्हारी याद आई शाम होते होते
बुझने लगा चिराग़ शाम होते होते

ग़म के दरवाज़े भी खुलने लगे
तेज़ रूख़ हवा का होते होते

जाने कौन कैसे दिल में समाया
टूटे सब ख़्वाब पूरे होते होते
@मीना गुलियानी


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