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गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

घर तो जला नहीं है

करूँ क्या ज़िक्रे मैं बेवफ़ाई
मुझे किसी से गिला नहीं है

नदी हूँ  इक तन्हाई की मैं
किनारा कोई  मिला नहीं है

पुकारा है मेरे दिल ने तुमको
लबों पे लेकिन सदा नहीं है

दिलों में धुँआ सा उठ रहा है
कोई  घर तो जला नहीं है
@मीना गुलियानी 

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