करूँ क्या ज़िक्रे मैं बेवफ़ाई
मुझे किसी से गिला नहीं है
नदी हूँ इक तन्हाई की मैं
किनारा कोई मिला नहीं है
पुकारा है मेरे दिल ने तुमको
लबों पे लेकिन सदा नहीं है
दिलों में धुँआ सा उठ रहा है
कोई घर तो जला नहीं है
@मीना गुलियानी
मुझे किसी से गिला नहीं है
नदी हूँ इक तन्हाई की मैं
किनारा कोई मिला नहीं है
पुकारा है मेरे दिल ने तुमको
लबों पे लेकिन सदा नहीं है
दिलों में धुँआ सा उठ रहा है
कोई घर तो जला नहीं है
@मीना गुलियानी
सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.