यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

सब निष्काम है

जिंदगी ज़िन्दादिली का नाम है
है नहीं ऐसी तो फिर नाकाम है

जिसने खुद्दारी से जीना सीखा है
हँसते हँसते जीना मरना सीखा है
ठोकरों पे उसकी सारा जहान है

जिसने लुटा दी जा वफ़ा के नाम पर
मिटा दी हस्ती भी उसके नाम पर
मौत उसके लिए हँसी पैगाम है

खूब शान से जीना तुमने सीख लिया
खा पीकर आराम से रहना सीख लिया
बिन अंतर्मन सफर के सब निष्काम है
@मीना गुलियानी

2 टिप्‍पणियां:

  1. जिसने लुटा दी जा वफ़ा के नाम पर
    मिटा दी हस्ती भी उसके नाम पर
    मौत उसके लिए हँसी पैगाम है.....वाह! बहुत उम्दा!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता की अंतिम पंक्ति...
    "बिन अंतर्मन सफर के सब निष्काम है"
    पूर्ण सार.
    सादर.

    जवाब देंहटाएं