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गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

कौन सुने मालूम न था

दिल की बस्ती लूट जायेगी
हमको ये मालूम न था
टूटेगा दिल किसी के हाथों
राज़ हमें मालूम न था

दिल ने हमें मजबूर किया तो
मौज में अपनी बहने लगे
न थी फ़िक्र अंजाम की हमको
आगाज़ भी मालूम न था

अपने आँसू हम पी जाएँ
ठंडी आहें ख़ामोशी से
सन्नाटे में फरियाद दिल की
कौन सुने मालूम न था
@मीना गुलियानी 

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