सागर से रूठी कभी नहीं
सरिता की मादक लाल लहर
खग से न गई क्षण भर भूली
विस्तृत नभ की स्वच्छन्द डगर
तुम मोहमयी स्वर्णिम छाया
जिससे यह प्राण हुए शीतल
सरळे सारल्य तुम्हारा ही
विश्वास बना मेरा अविचल
सब कुछ चाहे जग छीन चले
पर वह विश्वास न खो देना
मेरा संबल अवलम्ब वही
मत और किसी को दे देना
@मीना गुलियानी
सरिता की मादक लाल लहर
खग से न गई क्षण भर भूली
विस्तृत नभ की स्वच्छन्द डगर
तुम मोहमयी स्वर्णिम छाया
जिससे यह प्राण हुए शीतल
सरळे सारल्य तुम्हारा ही
विश्वास बना मेरा अविचल
सब कुछ चाहे जग छीन चले
पर वह विश्वास न खो देना
मेरा संबल अवलम्ब वही
मत और किसी को दे देना
@मीना गुलियानी
bakut achi kvita
जवाब देंहटाएंमत और किसी को दे देना
जवाब देंहटाएं1vh rhi smarpit sagr ko
apna astitv bna rkhne ko
apni svtntrta na khoi ndi aur pakshi ne
apna astitv kho kr
Doosery ke jaisa bna kr bhi
Us mein na phrk rha bilkul
2tumko pa kr hai sb paya
jivn pranon ko tumne mdhur bnaya
सरळे सारल्य तुम्हारा ही
विश्वास बना मेरा अविचल
3 सब कुछ चाहे जग छीन चले
पर वह विश्वास न खो देना
Jivn k eke tofanon me
Is dipk ko jlaye rkhna
मेरा संबल अवलम्ब वही
मत और किसी को दे देना,
bs yhi ek mera sb kuch hai
hr kimt pr isey bnaye rkhna-ashok
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति