यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 30 अप्रैल 2018

मत और किसी को दे देना

सागर से रूठी कभी नहीं
सरिता की मादक लाल लहर
खग से न गई क्षण भर भूली
विस्तृत नभ की स्वच्छन्द डगर

तुम मोहमयी स्वर्णिम छाया
जिससे यह प्राण हुए शीतल
सरळे सारल्य तुम्हारा ही
विश्वास बना मेरा अविचल

सब कुछ चाहे जग छीन चले
पर वह  विश्वास न खो देना
मेरा संबल अवलम्ब वही
मत और किसी को दे देना
@मीना गुलियानी 

4 टिप्‍पणियां:

  1. मत और किसी को दे देना
    1vh rhi smarpit sagr ko
    apna astitv bna rkhne ko
    apni svtntrta na khoi ndi aur pakshi ne
    apna astitv kho kr
    Doosery ke jaisa bna kr bhi
    Us mein na phrk rha bilkul

    2tumko pa kr hai sb paya
    jivn pranon ko tumne mdhur bnaya
    सरळे सारल्य तुम्हारा ही
    विश्वास बना मेरा अविचल

    3 सब कुछ चाहे जग छीन चले
    पर वह विश्वास न खो देना
    Jivn k eke tofanon me
    Is dipk ko jlaye rkhna
    मेरा संबल अवलम्ब वही
    मत और किसी को दे देना,
    bs yhi ek mera sb kuch hai
    hr kimt pr isey bnaye rkhna-ashok


    जवाब देंहटाएं
  2. अद्भुत सृजन... निःशब्द नमन आदरणीया🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा
    बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं