हे मेरे चंचल मन
तू बावला मत बन
क्यों घूमे तू चहुँ ओर
तुझे सूझे न कोई ठोर
रख तू भी ज़रा संयम
यूँ न जला मेरा मन
तू निष्ठुर मत बन
मत बढ़ा तू उलझन
जीवन में सुख और दुःख
आता जाता है प्रतिपल
कोई कहते हैं इसे भाग्य
कोई कहता इसे कर्मफल
@मीना गुलियानी
तू बावला मत बन
क्यों घूमे तू चहुँ ओर
तुझे सूझे न कोई ठोर
रख तू भी ज़रा संयम
यूँ न जला मेरा मन
तू निष्ठुर मत बन
मत बढ़ा तू उलझन
जीवन में सुख और दुःख
आता जाता है प्रतिपल
कोई कहते हैं इसे भाग्य
कोई कहता इसे कर्मफल
@मीना गुलियानी
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