ज्येष्ठ की दुपहरी में तपती है धरती
मीलों तक नज़र आए बंजर सी धरती
कैसे बनाओगे आशियाना रेतीली धरती
रेत का फैला समुन्द्र उठता बवण्डर
शूल बिखरे हर पथ पर तपती धरती
फिर इन्द्र का दिल भी देखकर डोला
भेजा बादलों को बनाने उर्वर धरती
बादल जो गरजे तो बरसी बदरिया
कुहुक उठी कोयल मोर झूमे गोरैया
खिल उठे कमल दल भरे पोखर तलैया
धरती फिर झूम उठी पहन पायल उठी
ओढ़ ली धानी चुनरिया गगरी छलक उठी
चंदा की चाँदनी, झिलमिलाती रात में
ले सितारों को संग , आई खुशियाँ बाँटने
लेके धरा को संग चाँदनी भी लगी नाचने
@मीना गुलियानी
ए -180 , जे डी ए स्टाफ कालोनी
हल्दीघाटी मार्ग ,जगतपुरा
जयपुर -302017
मीलों तक नज़र आए बंजर सी धरती
कैसे बनाओगे आशियाना रेतीली धरती
रेत का फैला समुन्द्र उठता बवण्डर
शूल बिखरे हर पथ पर तपती धरती
फिर इन्द्र का दिल भी देखकर डोला
भेजा बादलों को बनाने उर्वर धरती
बादल जो गरजे तो बरसी बदरिया
कुहुक उठी कोयल मोर झूमे गोरैया
खिल उठे कमल दल भरे पोखर तलैया
धरती फिर झूम उठी पहन पायल उठी
ओढ़ ली धानी चुनरिया गगरी छलक उठी
चंदा की चाँदनी, झिलमिलाती रात में
ले सितारों को संग , आई खुशियाँ बाँटने
लेके धरा को संग चाँदनी भी लगी नाचने
@मीना गुलियानी
ए -180 , जे डी ए स्टाफ कालोनी
हल्दीघाटी मार्ग ,जगतपुरा
जयपुर -302017
बरखा के स्वागत मे मनभावन रचना।
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