मत जाओ दूर इतना कि हम तुझे ढूँढ़ते ही रहें
मत पास आओ इतना मिटे दिल की प्यास वो
सजा दो चाँदनी को भी तुम अपने ऐसे लिबास में
लगता रहे मुझे कि तेरा खिलता नूर मेरे पास हो
क्यों बेकरार करती है मुझे ये दिलकशी तेरी
घटती ही नहीं कभी मेरी आँखों की प्यास वो
हो जाए कभी ऐसा है तमन्ना सदा से ही मेरी
ज़मीं वो फूलों से भर जाए जहाँ तू मेरे साथ हो
@मीना गुलियानी
मत पास आओ इतना मिटे दिल की प्यास वो
सजा दो चाँदनी को भी तुम अपने ऐसे लिबास में
लगता रहे मुझे कि तेरा खिलता नूर मेरे पास हो
क्यों बेकरार करती है मुझे ये दिलकशी तेरी
घटती ही नहीं कभी मेरी आँखों की प्यास वो
हो जाए कभी ऐसा है तमन्ना सदा से ही मेरी
ज़मीं वो फूलों से भर जाए जहाँ तू मेरे साथ हो
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा मीना जी आप सहजता से कितना सुंदर लिखते हो।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है
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