यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 1 मई 2018

चुनरिया पहन धरती मुस्काई

हुआ आगमन ग्रीष्म ऋतु का
आम्रमंजरी ने भी ली अंगड़ाई
नीम के वृक्ष ने निंबौली बिखराई
सुबह सूर्योदय से पूर्व की शीतल
बयार सबके मन को अति भाई
दोपहर में गर्मी ने तपन बढ़ाई
प्यास की मात्रा में हुई अधिकाई
गन्ने का रस पीकर तपन बुझाई
घरों में ए सी, कूलर ने होड़ मचाई
चाय ,कॉफ़ी से अच्छी लगे ठण्डाई
चिड़िया ,मैना भी लगी चहकने
जब मिट्टी से सौंधी खुशबु आई
नन्ही गिलहरी भी फुदकने लगी
पेड़ की टहनी के ऊपर चढ़ने लगी
तीतर ,कबूतर दाना चुगने लगे
कुत्ते ,बिल्ली रोटी ले भगने लगे
खेतों में होने लगी फसलों की कटाई
धानी चुनरिया पहन धरती मुस्काई
@मीना गुलियानी

3 टिप्‍पणियां:

  1. मीना जी सरस सहज धारा प्रवाह लिये सुरभित काव्य।

    जवाब देंहटाएं
  2. V1vrsha ritu aai,
    nbh pr kale baadal chaaye
    Pavn chle purvai
    2 dhrti ne nvyovan paaya
    Hriyali hai chaai
    Dhaani chunri oodh mudit mn
    hai prkriti muska
    3 nachen myur ab prsnn ho kr kr
    bahe gyaan ka saagr jhr jhr
    krm kren kuch aise jinse
    stt bhe jivn ka nirjhr-ashok

    जवाब देंहटाएं