जब सुबह कलरव करते
पक्षियों को देखती हूँ
तो अपने मन में सोचती हूँ
कैसे वो घोंसला बनाते हैं
तिनका तिनका बीनकर लाते हैं
अपनी चोंच से फिर सजाते हैं
सुबह दाना चुगने निकलते हैं
तो शाम को घर लौटते हैं
उनके बच्चे अपनी चोंच खोलते हैं
माँ आती है उन्हें खिलाती है
आँधी तूफ़ान जब आते हैं
उनको भी तो डर लगता होगा
न जाने कितने घोंसले तो उस
तेज़ हवा के झोंकों से ही
टूटकर बिखर जाते हैं
मुझे यह देखकर दुःख होता है
उनका परिश्रम व्यर्थ जाता है
भगवान ने कैसा संसार रचा है
उत्पत्ति विनाश का समन्वय है
जिंदगी कैसी भी हो जीना पड़ता है
यह सफर तय करना पड़ता है
समय का पहिया अनवरत चलता है
@मीना गुलियानी
पक्षियों को देखती हूँ
तो अपने मन में सोचती हूँ
कैसे वो घोंसला बनाते हैं
तिनका तिनका बीनकर लाते हैं
अपनी चोंच से फिर सजाते हैं
सुबह दाना चुगने निकलते हैं
तो शाम को घर लौटते हैं
उनके बच्चे अपनी चोंच खोलते हैं
माँ आती है उन्हें खिलाती है
आँधी तूफ़ान जब आते हैं
उनको भी तो डर लगता होगा
न जाने कितने घोंसले तो उस
तेज़ हवा के झोंकों से ही
टूटकर बिखर जाते हैं
मुझे यह देखकर दुःख होता है
उनका परिश्रम व्यर्थ जाता है
भगवान ने कैसा संसार रचा है
उत्पत्ति विनाश का समन्वय है
जिंदगी कैसी भी हो जीना पड़ता है
यह सफर तय करना पड़ता है
समय का पहिया अनवरत चलता है
@मीना गुलियानी
Yahi jeevan hai..
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