बुझते चिराग़ों को फिर जलाते हैं
उजड़े हुए ख़्वाबों को सजाते हैं
लम्हे जिंदगी के जो गुज़र भी गए
उनकी यादों में हम डूब जाते हैं
दर्दे दिल हमसे सहा नहीं जाता
दरिया अश्कों के हम बहाते हैं
खोए रहते हैं हम ख्यालों में
हम तो हर ग़म गले लगाते हैं
@मीना गुलियानी
उजड़े हुए ख़्वाबों को सजाते हैं
लम्हे जिंदगी के जो गुज़र भी गए
उनकी यादों में हम डूब जाते हैं
दर्दे दिल हमसे सहा नहीं जाता
दरिया अश्कों के हम बहाते हैं
खोए रहते हैं हम ख्यालों में
हम तो हर ग़म गले लगाते हैं
@मीना गुलियानी
वाह बहुत खूब गम गले लगते हैं।
जवाब देंहटाएं