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बुधवार, 30 मई 2018

बिखरे सुर जो गाया

जिंदगी में इक मोड़ ऐसा भी आया
वादा किया रुकने का पर रुक न पाया

रेत सा वक्त हाथों से फिसलता गया
दीद को तरसते रहे मिला सिर्फ साया

पुकारते ही रह गए जुबां से न कह पाया
जहाँ तलक देखा ख़्वाब टूटता नज़र आया

जिंदगी के साज़ पर एक गीत सजाया
कसक दिल में उठी बिखरे सुर जो गाया
@मीना गुलियानी 

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