जिंदगी में इक मोड़ ऐसा भी आया
वादा किया रुकने का पर रुक न पाया
रेत सा वक्त हाथों से फिसलता गया
दीद को तरसते रहे मिला सिर्फ साया
पुकारते ही रह गए जुबां से न कह पाया
जहाँ तलक देखा ख़्वाब टूटता नज़र आया
जिंदगी के साज़ पर एक गीत सजाया
कसक दिल में उठी बिखरे सुर जो गाया
@मीना गुलियानी
वादा किया रुकने का पर रुक न पाया
रेत सा वक्त हाथों से फिसलता गया
दीद को तरसते रहे मिला सिर्फ साया
पुकारते ही रह गए जुबां से न कह पाया
जहाँ तलक देखा ख़्वाब टूटता नज़र आया
जिंदगी के साज़ पर एक गीत सजाया
कसक दिल में उठी बिखरे सुर जो गाया
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें