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शुक्रवार, 11 मई 2018

वो बात न कहने पाए

गए परदेस जो तुम
बात न करने पाए
होंठ भी मेरे सिले
खुलके न कहने पाए

छिप गया चाँद मेरा
बादलों ने घेर लिया
बुझ गई शमा रहे
गम के काले साए

दिल के एहसास अधूरे
ही रहे दिल में मेरे
जिसका अरमान था
वो बात न कहने पाए
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. मीना जी आप सादगी से कितना अंतर गहन वर्णन कर लेती है। आपकी प्रतिभा अप्रतिम। बहुत उम्दा और खूबसूरत।

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