जिंदगी के हालात कुछ ऐसे हुए
शीशे के महल बनाए हमने
दिल नाजुक मोम सा है हमारा
तेज़ रोशनी से छिपाया हमने
दुनिया को ख़ुशी दिखाने को
चेहरे पे नकाब लगाए हमने
जब कोई हमदर्द करीब न पाया
अपने साये को अपनाया हमने
@मीना गुलियानी
शीशे के महल बनाए हमने
दिल नाजुक मोम सा है हमारा
तेज़ रोशनी से छिपाया हमने
दुनिया को ख़ुशी दिखाने को
चेहरे पे नकाब लगाए हमने
जब कोई हमदर्द करीब न पाया
अपने साये को अपनाया हमने
@मीना गुलियानी
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 06 मई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंYH KRNA HI PDTA HAI-ASHOK
जवाब देंहटाएं1KOI TO GHAS DALE HMEN IS DUNIYA MEIN
जवाब देंहटाएंSHISHE KE MHL BNAAYE HMNE
2APNE DIL KO DHOKHA DE KR
KHOOB AKD KR DIKHAYA HMNE
3 HMARAA DIL ROTA HI RHA
HMN BNAVTI KHUSHI DIKHANE KO
UNCHI YNCHI CHLANGE LGAII
—4JB RONA PDA AKELE HMKO
APNE AAP KO GLE LGAAYA HMNE-ASHOK
AGR HM YH SB NA KREN TO GUJARA NHIN HOTA
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी रचना के लिए मेरा एक शेर
जवाब देंहटाएंइन साँझ की वीरानियों का क्या करें हम
न ही तुम दृश्य न ही मेरा साया हमदम.
कमाल लिखा है आपने.
स्वागत है खैर पर
लाजवाब रचना...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह्ह..बहुत सुंदर रचना मीना जी।
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